डॉ एस.के.उपाध्याय उत्तर प्रदेश, सहारनपुर के रहने वाले हैं. उन्हें लोग प्रकृति परुष के नाम से भी जाने जाते हैं.
डॉ एस.के.उपाध्याय शिक्षण क्षेत्र से जुड़े रहे हैं. वह विज्ञान विषय के प्रोफेसर थे तथा 2008 में वह इस पद से रिटायर हुए. डॉ एस.के.उपाध्याय पर्यावरण संरक्षण व नदियों के प्रदूषण को रोकने के प्रति अत्यंत जागरूक हैं. वह वैसे विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हैं जो स्वच्छता एवम् पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यशील रहते हैं. जिनमें विकल्प, परचम तथा दिशा जैसे सामाजिक संगठन शामिल हैं. विज्ञान के छात्र व शिक्षक होने के कारण डॉ एस.के.उपाध्याय हर समस्या के पीछे का वैज्ञानिक कारण खोजते हैं तथा उसी आधार पर उस पर कार्य करते हैं. उनके अनुसार हिंडन नदी के पानी से कैंसर होने के पीछे भी वैज्ञानिक कारण है, क्योंकि इस नदी में बहुत सारे पानी व क्लोराइड, ब्लीचिंग आदि ऐसी चीज़ें डाली जाती हैं,जिससे इसका पानी दूषित हो जाता है. इसके अलावा उसके कचरे को जलाते हैं जिसे लोग इनहेल करते हैं. इन्हीं सब कारणों से कैंसर होता है.
उन्होंने भारत सरकार की संस्था सी.सी.आर.एस में वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया है. डॉ साहब सामाजिक सरोकार के कार्यों से जुड़े रहते हैं. वह लोगों को प्लास्टिक तथा पोलीथीन का प्रयोग न करने के प्रति जागरूक करते रहते हैं. वह नदियों को स्वच्छ तथा संरक्षित रखने के लिए भी प्रयासरत रहते हैं. उन्होंने घाड में एक सामाजिक संगठन के जरिये वहां के वनजीवी लोगों की समस्याओं को समझकर उन्हें दूर करने की कोशिश की. वहां के लोगों को पौधों तथा जड़ी बूटियों के बारे में भी समझाया. इसके अलावा वह कचरा प्रबन्धन के उपायों पर भी कार्य करते रहते हैं.
वर्तमान में डॉ एस.के.उपाध्याय का मुख्य उद्देश्य हिंडन नदी को साफ़ व पुनर्जीवित करना है. उनके अनुसार आज छोटी- छोटी नदियाँ फ़ैल गयीं हैं जिससे उनका पानी हिंडन में नहीं जा पा रहा. इसी कारण अगर आज हिंडन का पानी रोक देंगे तो वह सूख जाएगी. पानी और साफ़ नदियों का होना सबके लिए जरुरी है शायद यही वजह है कि वह निरंतर नदियों को स्वच्छ रखने के प्रति लोगों से बात करते हैं उन्हें समझाते रहते हैं. उनका मानना है नदी के पानी को शुद्ध रखने के लिए उसके किनारे जलीय पौधों को लगाना तथा नेचुरल इक्वेरियम का निर्माण करना चाहिए. यदि हम नदी को शुद्ध रखना चाहते हैं तो उसकी ज़मीन पर कुछ कृतिम निर्माण नहीं करना चाहिए. उनके अनुसार नदी को संरक्षित रखने के लिए नदी की ज़मीन नदी को ही दे देना चाहिए. नदियां बचेंगी तभी हम बचेंगे हमारा कल बचेगा.
डॉ एस.के.उपाध्याय समस्याओं को वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से देखने की कोशिश करते हैं. उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य दुनिया को प्लास्टिक फ्री
बनाना है. उनका कहना है कि हमें वन, नदियों व जीवधारियों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि
यदि वन, नदियाँ व जीवधारी रहेंगे तभी मनुष्य भी जीवित रह सकेगा. समाज के कल्याण के
लिए सामाजिक सरोकार से जुड़े लोगों को पहले खुद भला होना पड़ेगा तभी समाज की सोच में
परिवर्तन लाया जा सकता है. किन्तु इन सब कार्यों के लिए प्रशासन का सहयोग भी बहुत
आवश्यक है और यही वजह रही है कि